किसी भी शायर का सफर “बारिश शायरी २ लाइन” के बिना अधूरा है । वैसे तो हर मौसम ख़ास है , लेकिन बारिश में भीगने और सूखे रहकर बारिश को निहारने सभी तरह से यह मौसम कुछ दिल की बातो को छु ही लेता है। कोई लेखक भी न हो तो वो भी “बारिश शायरी फोटो” अपने स्टेटस और मैसेज में अपनी जज़्बात व्यक्त करता है।
हिंदी वाले छोटे छोटे शब्द में बड़ी बड़ी बात कहने के शौक़ीन होते ही हैं। साथ ही शायरी की बात किये बिना किसी भी पढ़ने लिखने के शौक़ीन “बारिश शायरी हिंदी “ की सूची जरूर बनाते हैं। ऐसे में रूठा आशिक़ अपना “बारिश शायरी” को पेश न करे ऐसे कैसे हो सकता है। जून महीना शुरू हो गया है और बारिश ने अपनी झलक तो दिखा दी है, लेकिन छाते अबतक सूखे सूखे ही हैं और दोस्तों के साथ जहरनो में भीगने की खरीदी भीगकर कहानिया बनने को बेताब हैं। जज़्बातो के अलग अलग लम्हों में बारिश का प्रतिबिंब आज प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
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बारिश शायरी
“बारिश शायरी फोटो “ को आप सब सेव करके शेयर करे और मौसम का पूरा लुफ्त ले। क्योंकि ऐसी छोटी चीज़े ही हमें ज़िंदा बनाती हैं । जब जब ऐसी खुशियों को हम भूलना शुरू कर देते हैं, हम जैसे मर गए हो ऐसे लगने लगता है। “बारिश शायरी हिंदी” बाकी सब लिखावटों से अलग हो जाती है। इसे हर छोटा बड़ा अपनी तरह से जीता है।
बारिश तो अब रोशन हुई है,
दोस्तों के साथ भीगने पे, मैं आज हँसा हूँ।।।
Baarish to ab roshan hui hai,
Dosto ke saath bheegne pe, main aaj hansa hoon..
उस देश में बारिश क्या मनाते होंगे,
टपरी पर चाय जहाँ बिकती नहीं होगी।।
Uss desh me baarish kya manaate honge,
Tapri par chai jahaan bikti nahi hogi…
ये बारिश ने क्या सिखाया आज मुझे,
सबकुछ भीगाते भीगाते, खुद भी तो उस रंग का बन जाता है।।
Yeh baarish ne kya sikhaya aaj mujhe,
Sabkuch bheegaate bheegaate, khud bhi toh us rang ka ban jaata hai..
जिस तरह तरसते रहे थे हम बारिश को,
उस तलब से ही बूंदों ने आज छुआ है।।
Jis tarah taraste rahe the hum baarish ko,
Uss talab se hi boondo ne aaj chua hai..
बादलों को भी समा बाँधना पड़ा,
बारिश बरसाने एक संघर्ष मौसम को भी तो करना पड़ा।।
Badalo ko bhi samaa baandhna pada,
Baarish barsaane ek sangarsh Mausam ko bhi toh karna padaa..
मिट्टी के धब्बे कुबूल कर लेने चाहिए,
मुस्कान के रंग अकेलेपन आयेंगे कैसे।।
Mitti ke dhabe kubool kar lene chahiye,
Muskaan ke rang akelepan aayenge kaise…
बारिश की बूंदों का कोई रंग नही होता,
फिर भी हर रंग निखार लेता है।।
गुलकर तो देखों पल पल के पढ़ाव में,
ज़िन्दगी के संघर्ष जितना कुछ और महकता नहीं।।
Baarish ki boondo ka koi rang nahi hota,
Fir bhi har rang nikhaar leta hai..
Ghulkar toh dekho pal pal ke padhaav me,
Zindagi ke sangarsh jitna kuch aur mehekta nahi..
बारिश का पानी नीचेवाली ज़मीन पे जा बैठा है,
बरसों मैं इस मौसम में जैसे भीगना ही भूल गया था।।
Baarish ka paani neechewali zameen pe jaa baitha hai,
Barso main iss Mausam me jaise bheegna hi bhul gaya tha..
बाहों को खोलकर खाली किया, नीचे जाकर बारिश की मिट्टी में खुदको रंग आया।।
Baahon ko kholkar khaali kiya, neeche jaakar baarish ki mitti me khudko rang aaya..
संगीत, ग़ज़ल और चित्रकार सब जाग जाते है,
जज़्बात भी जैसे बारिश में खिल जाते हैं।।
Sangeet, ghazal aur chitrakaar sab jaag jaate hain,
Jazbaat bhi jaise baarish me khil jaate hain..
“बारिश शायरी २ लाइन “ के साथ स्कूल की कुछ कविताएं भी रूठा आशिक़ याद कर रहा था। शायद आप लोगों को भी कुछ ऐसी लाइन्स याद भी आयी होंगी। ऐसे सहारे मुहावर और शब्दों की सुचि और जुगलबंदी करते हुए कमेंट जरूर करना। जनता से आये हुए एक एक स्वछंद बातें हमें बहुत लुभाती हैं और हम इसे संभालकर रखते हैं। इसके साथ आपकी खुदकी “बारिश शायरी” भी हमें जरूर प्रस्तुत करें और शेरो शायरी के इस माध्यम से शब्द से शब्द की सुन्दर माला बनाकर कला की पूरी आज़ादी मनाये।
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बारिश शायरी | बारिश शायरी फोटो
“बारिश शायरी फोटो” में आप हमारी शायरी के साथ इंस्टाग्राम टैग करना। रूठा आशिक़ आपके लम्हों में अपने शब्दों को देख और भी जी जायेगा। हिन्दुस्तान के हर झरने पर “बारिश शायरी हिंदी” लग जाए तो भी एक एक तस्वीर निहारते हुए कोई न थके इतने नज़ारे भारत में हैं।
बारिश से संकोच अच्छा नहीं,
अपनेआप में भी सूखनेपर इंसान अकेला हो जाता है।।।
Baarish se sankoch achcha nahi,
Apneaap me abhi sukhnepar insaan akela ho jaata hai..
बारिश की ये सियासत तो देखो,
कई भीगने को बेताब हैं, कई डूब गए , तो कई भीगना नहीं चाहते।।
Baarish ki ye siyasat toh dekho,
Kai bheegne ko betaab hai, kai doob doob gaye, toh kai bheegna nahi chaahte…
आँसू भी भीगना चाहते है,
दर्द को भी सूखे रखना सही नहीं।।
Aansu bhi bheegna chaahte hain,
Dard ko bhi sukhe rakhna sahi nahi..
ये बारिश इतना जोर से क्या बोल गई,
इन बूंदों की गरज और धार अपनी बात कह गया है।।
Ye baarish itna jor se kya bol gayi,
Inn boondo ki garaj aur dhar apni baat keh gaya hai..
ये इश्क़ की महक है,
मिट्टी से बूंदों की प्यास है,
थोड़ा किचल और थोड़ा पानी,
ये मुलाकात मेरे बारिश से है।।
Yeh ishq ki mahak hai,
Mitti se boondo ki pyaas hai,
Thoda kichal aur thoda paani,
Ye mulaaqaat mere baarish se hai..
खुशियों के लिए मुस्कान बनकर,
दर्द के लिए आंसू बनकर,
ये बारिश है या दिल का दर्पण।।
Khushiyo ke liye Muskaan bankar,
Dard ke liye aansu bankar,
Ye baarish hai ya dil ka darpan..
हर गली में तैयारी हो जायेंगी,
बारिश आने के पहले,
कुछ नाव तो डुबकियाँ तैरने आयेंगी।।
बरसेंगी जब बूंदे आसमान से,
नये रंग में हर तस्वीर बदल जायेगी।।
Har gali me taiayaari ho jayenge,
Baarish aane ke pehle,
Kuch naav to doobkiya tairne aayengi..
Barsengi jab boonde aasmaan se,
Naye rang me har tasveer badal jayegi…
एक झंकार छत पे बनी हुई है,
खिड़कियों से कुदरत बतिया रही है,
बारिश का मौसम है – पल पल में महक जता रही है।।
Ek jhankaar chat pe bani hui hai,
Khidkiyo se kudrat batiya rahi hai,
Baarish ka Mausam hai – pal pal me mehek jata rahi hai..
बारिश की बातों ने जज़्बात को खोल दिया है,
इंतज़ार में थी बातें बोलने को,
हर किसी ने अपने लहजे में बोल दिया है।।
Baarish ki baato ne jazbaat ko khol diya hai,
Intazaar me thi baatein bolne ko,
Har kisi ne apne lehje me bol diya hai…
कुछ पेड़ गिर जायेंगे, तो कलियों को भी मौका होगा।।।
बारिश के साथ , नई कहानी का नया पन्ना होगा।।
Kuch ped gir jayenge, to kaliyon ko bhi mauka hoga,
Baarish ke saath, nayi kahaani ka naya panna hoga…
ये बादल, ये बिजली, ये टिपटिपाती बूंदे।।
ये बदलाव, ये पहल, नए बारिश की उम्मीदें।।
कभी खेल है, तो कभी मौसम से लड़ना हैं,
बहुत जिये एकधार में, अब बारिश में सवरना है।।
Ye Badal, ye Bijli , ye tiptipaati boonde…
Yeh badlaav, yeh pehal, naye baarish ki umeede..
Kabhi khel hai, toh kabhi Mausam se ladna hai,
Bahut jiye ekdhaar me, ab baarish me savarna hai..
“बारिश शायरी २ लाइन “ में ही आपका जीवन का एक एक साल जैसे नजरो के सामें खेलने लगता है। आपकी चाय, आपके बारिश में खेल, और बहुत से ख़ुशी और ग़म के पल याद की लहर बनकर मन में आने लगते हैं। दिल फिर ऐसी ही यादे बनाने मौसम के साथ अपने समय बिताने निकल पड़ता है। “बारिश शायरी “ कम प्रस्तुत किय गया है, लेकिन इसके संगर्ष में भी एक अलग आनंद है, ज़िंदगी का अलग ही अनुभव है।
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Conclusion
“बारिश शायरी २ लाइन” में से आपको कौनसी लाइन सबसे ज्यादा अच्छी लगी यह हमें जरूर बताये । आपके पसंद के जज़्बातो को समझकर और भी जज़्बात पेश करने का प्रयास हम करते रहेंगे । यह सब “बारिश शायरी फोटो” को बनाते हुए रूठा आशिक़ भी अपनी पुरानी दुनिये के साथ आनेवाले पल में बदलते हुए कुछ करने के सोच रहा था।
कुछ शायरों की महफ़िल में “बारिश शायरी हिंदी” की जुगलबंदी के साथ जैसे सब अलग होते हुए एक एक बूंदो आखिर कल कल बहने लगे। हम ऐसे लोगो को ख़ास धन्यवाद देते हैं, जो हमारे साथ इस पेज के कारण जुड़े हैं और ज़िंदगी और रूह के स्तर तक हमसे नाता रखते हैं। “बारिश शायरी ” के साथ रूठा आशिक़ चाहता है की सालो साल से इस शायरियो ने हमे ज़िंदा रहने याद दिलाया है और डिजिटल दुनिया में कुदरत से जोड़ने का यह मौका जरूर बन पाए।