“चांद पर शायरी” करना हर शायर के सफर का किस्सा होता ही है। हम सफेद, आधे, पूरे, पूनम, ईद, चौदवी, इश्क़ , अकेलापन हर जज़्बात में चाँद को याद करके लिखते है। “चांद पर शायरी इमेज” में हम हर जज़्बात का ज़िक्र करके शायरी पेश कर रहे हैं। इन सब जस्बात को लिखते हुए रुठा आशिक़ कोशिश करता है के ये सब तस्वीरों को आप स्टेटस और अन्य सोशल मीडिया में शेयर कर सको।
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चांद पर शायरी हिंदी में
दिल की बातों के लिए भारतीय ज्योतिष भी चाँद के हिसाब से फलादेश देते हैं। जब आसमान का चांद समंदर का पानी ऊपर नीचे कर लेता है, शायद दिल में बहती लहरों से मन पर भी असर डालती होगी। “चांद पर शायरी हिंदी में” बताते हुए , आपको लगता है ये सब कुदरत से हम बने हैं तो अंदर बाहर ये चाँद से हमारा रिश्ता होगा? चाँद के इतने चेहरे और उनमें बसी बातों को जज़्बातों में बयान हम कर रहे हैं। ये जज़बातों में आप भी खुदको देख सकेंगे और लोगों से इन शायरी को शेयर करके दिल की बातें बता सकेंगे।
“चाँद से आज दुआ है, ये ज़मीन का रुख कुछ सुधार दे …
उड़ते नहीं यहाँ फरिश्ते , मगर एक रफ़्तार की उनमे भी थी….
Chand se aaj dua hai, ye zameen ka rukh kuch sudhaar de,
Udte nhi yaha farishtey, magar ek raftaar ki unme bhi thi….”
“कैद सी बिता दी ज़िन्दगी,
आज चाँद तुझे देख पंख फैलाना चाहता हूँ…
Kaid si bitaa di zindagi,
Aaj Chand tujhe dekh pankh felana chaahta hoo…”
“बस थोड़ा सा डर है चाँद से,
और थोड़ी मोहब्बत ज़मीन से भी…
क्या दोनों के आर पार,.
उड़ाने भरने की चाहत – उड़ान भर पायेगी…?
Bas thoda sa dar hai chand se,
Aur thodi mohabbat zameen se bhi…
Kya dono ke aar paar,.
Udaane bharne ki chahat – udaan bhar payegi…?”
“मेरी उड़ान के लिए तो मेरा ही चाँद लगेगा,
हूबहू सफर करने तो सवारी ही करा लेना तुम…
Meri udaan ke liye toh mera h chand lagega,
Hoo ba hoo safar karne to savaari hi karaa lena tum…”
“चाँद से हो तुम, आसमान क्या मेरी ज़मीन भी रोशन हो जाती है तेरे आने से..
Chand se ho tum, aasmaan kya meri zameen bhi roshan ho jaati hai tere aane se..”
“खुले चाँद की तमन्ना थी,
झुकाकर नजर कैसे उड़ान भरते..
Khule chand ki tamanna thi,
jhukakar najar kaise udaan bharte…”
“पेट के गढ़े और खवाबों का चाँद कितना बड़ा है,
ये बाप का कद कितना ऊँचा है- हालात सबसे कह रहा है…
Pet ke gadhe aur khwaabon ka chand kitna bada hai,
ye baap ka kad kitna uncha hai – haalaat sabse keh raha hai..”
“चाँद से आज दुआ है,
ये ज़मीन का रुख कुछ सुधर दे…उड़ते नहीं यहाँ फरिश्ते, मगर एक रफ्तार उनमे भी थी..
Chand se aaj dua hai,
yeh zameen ka rukh kuch sudhar de … udte nahi yahaan farishtey , magar ek raftaar unme bhi thi…”
“पिंजरे से मोहब्बत कर रखी है मैंने,
रातें चाँद के पास बीतेगी कहाँ..
Pinje se mohabbat kar rakhi hai maine,
Raatein chand ke paas beetegi kahaan..”
“ऐ चाँद कुछ तो बोल-ये ज़मीन गैर सी हुई है..
ऐ चाँद कुछ तो बोल-अपने तू ले गया या अपनापन…
ऐ चाँद कुछ तो बोल-एक मुकदमा या चिठ्ठी तो बना…
ऐ चाँद कुछ तो बोल- ढूंढ़के भी एक कंधा नहीं दरबदर..
ऐ चाँद कुछ तो बोल- कहते है एक नाता है ज़मीन से तेरा…
ऐ चाँद कुछ तो बोल..
ae chand kuch toh bol-yeh zameen gair si hui hai…
ae chand kuch toh bol-apne tu le gaya ya apnaapan…
ae chand kuch toh bol-ek mukadma ya chitthi toh banaa….
ae chand kuch toh bol-dhundke bhi ek kandha nahi darbadar…
ae chand kuch toh bol-kehte hain ek naata hai zameen se tera…
ae chand kuch toh bol…”
आपके भी ऐसे किस्से होंगे जो हर कोई चाँद से बताते होंगे । कुछ ऐसे ही किस्से “चांद पर शायरी” में आप भी कमेंट करके हमें बता सकते हैं। हमारे जज़बातों को ही चाँद से कहे ये जरूरी तो नहीं। हम चाँद पे क़िस्से “चांद पर शायरी इमेज” में चांद के खास दिनों में शेयर करते रहते हैं। ये प्यारी बात ही तो है, इतने सारे ग्रहों में चांद ही चंदा मामा है। दिलसे कुछ तो इसका नाता होगा तभी तो दिल के करीब मामा के साथ रिश्ते से इसकी तुलना की गई है।
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“झुंड के बाहर एक उड़ान लिए निकला था मैं,
चाँद ने मेरी बिरादरी हर किसी से कह दी।।
Jhund ke bahaar ek udaan liye nikla tha main,
chand ne meri biradri har kisi se keh di…”
“तकते रहे, किरदारों के कोने कोने तलाशते हुए।।
हम अनजाने में जो कह गए, वो बसी बसाई बस्ती में कहाँ।।
हाँ, ज़मीन ने वजूद दिया है लेकिन,
इस चाँद से भी मोहब्बत करना गलत तो नहीं।।
takte rahe, kirdaaro ke kone kone talaashte huye..
hum anajaane me jo keh gaye, wo basi basaai basti me kahaan..
haan, zameen ne wajood diya hai lekin,
iss chand se bhi mohabbat karna galat toh nahi..”
“छोड़ी नहीं हमने उसूलों की तालिम,
हाँ, वक़्त रहते खुदको मोड़ा जरूर है!!!
रास्ते और करवटे बदल ही जाती है,
इरादा हमेशा से चाँद छूने का रहा है!!!
chodi nahi humne usoolo ki taalim,
haan, waqt rehte khudko moda jarur hai..
raaste aur karvat badal hi jaati hai,
iraada hamesha se chand choone ka raha hai…”
“हमने रोज कमाने में ज़िन्दगी गुजार दी,
ज़िन्दगी कमाने रोज लगाना ये हर कोई कहाँ सीख पाता है??
हम कतराते रहे लोगों से शरमाकर,
बीना कटे कभी जिया जाता है??
ज़मीन के नमी ओढ़कर जानी हमने,
ये चाँद के लिए उड़ान ने बताया, नक्शा खूबसूरत बहुत है।।
humne roj kamaane me zindgi guzaar di,
zidngi kamaane roj lagaana ye har koi kahaan sikh paata hai??
hum katraate rahe logon se sharmaakar,
bina kate kabhi jiya jaata hai??
zameen ke nami odhkar jaani humne,
ye chand ke liye udaane ne bataaya, naksha khubsurat bahut hai…”
“ज़मीन के बिना किसीका कोई सहारा नहीं,
चाँद को असल मे किसीने छुआ नहीं,
है अरमान उस झूठ का सभी को,
हासिल और कायम पैरों तले उसका किसी को ख्वाब नहीं।।
Zameen ke bina kisika koi sahaara nahi,
chand ko asal me kisine chua nahi,
hai armaan uss jhooth ka sabhi ko,
haasil aur kaayam pairo tale uska kisiko khwaab nahi…
उड़ता कागज़ काफी लुभा गया था बचपन को,
ज़मीन से लगी ढील की करामत उड़ाते हुए जाना है,
ख्वाब कहाँ जानते थे चाँद कितना मेहेंगा हैं,
एक जवाबदार मांजा तो अब जाकर मंजा है।।
Udta kaagaz kaafi lubha gaya tha bachpan ko,
zameen se lagi dheel ki karaamat udaate huye jaana hai,
khwab kahaan jaante the chand kitna mehenga hain,
ek jawaabdaar maanjha toh ab jaakar manjha hai …
“और चाँद फिर से मुस्कुराना शुरू कर दिया, कारण आप हैं।
एक-दूसरे के लिए अनकही, लेकिन हम पहले से ही जानते थे …
aur chand fir se muskuraana shuru kar diya, kaaran aap hai..
ek dusre ke liye ankahi , lekin hum pehle se hi jaante the..”
चांद पर शायरी | चांद पर शायरी इमेज
“चांद पर शायरी” में विज्ञान देखने मे कई लोगों को लॉजिक नहीं मिलता। लेकिन ये अनुभूति शायद साइंस से आगे हैं इसलिए दिल से दिल तक अबतक ये चांद के लिए भावनाओं का रिवाज सदियों से जुड़ा हुआ है। अगर आप हिन्दी से कभी भी जुड़े होंगे तो “चांद पर शायरी हिंदी में” भी आपने देखी होगी, सुनी होगी और पसंद भी की होगी। इस ही रिवाज से ऐसा और भी रिवाज बनाने हमनें “चांद पर शायरी इमेज” का यह कलेक्शन बनाया है।
“मुलाकाते कम है ये तो मुक़द्दर की बात है ,
ये एहसास मेरे चाँद के साथ बरकरार रहेगा।
mulakaate ham hai ye muqqadar ki baat hai,
yeh ehsaas mere chand ke saath barkaraar rahega..
“बस इतना सा चाहिए तुझसे ऐ चाँद,
ज़मीन पे बैठूँ तो लोग उसे बड़प्पन कहे, औकात नहीं…
Bas itna sa chahiye tujhse ae chand,
zameen pe bethu toh log usae badappan kahe, aukaat Nahi…”
“अक्सर चाँद के नीचे ढूंढा तुझको,
किसे बताते हम- ये दूरियों की कहानी हररोज बगल में बैठती है।
aksar chand ke neeche dhunda tujhko,
kise bataate hum – yeh dooriyon ki kahaani har roj bagal me baithti hai..”
Poet priyu
“तकलीफ की वजह इस तरह रौशन मेरे चाँद,
ज़िंदगी मे रिश्ते ढूँढते रहे लोग,
जब रिश्ते में ज़िंदगी ढूँढनी थी।
Takleef ki wajah iss tarah roshan mere chand,
zindagi me rishte dhundte rahe log,
jab rishte me zindagi dhundni thi…”
“ये चाँद भी बढ़ती उम्र के साथ झूठा लगने लगा है,
अरमान जगने के पहले इजाजत बहुत लेने लगे है।
Yeh chand bhi badhti umar ke saath jhootha lagne laga hai,
armaan jagne ke pehle ijajat bahut lene lage hai..”
“शांत जो हुआ है चाँद से आसमान आजकल, कुछ अपनी परछाई देख रहा हूँ ,.
नज़ारे देखने में इतना था मशगूल, आज खुद के नजरिये में अंतर देख रहा हूँ ..
Shant jo hua hai chand se aasmaan ajkal, kuch apni parchchai dekh rha hoo,.
Najaare dekhne me itna tha mashgool, aaj khud k najariye me antar dekh rha hoo..”
“ऐ चाँद समेट ले अब ये जज़्बात का बाजार,
बहार आते ही कहानी बन जायेंगे…
ae chand samet le ab ye jazbaat ka bazaar,
Bahaar aate hi kahaani ban jayenge…”
“बहुत आ रहे चाँद के पास आजकल,
शायद किसीने उसकी सुनी नहीं होगी।
Bahut aa rahe chand ke pass aajkal, shayad kisine uski suni nahi hogi..”
“कभी शिकायत तो कभी प्यार बनकर ,
इस चाँद ने कितनी मोहब्बत की गवाही दी है।।
kabhi shikayat to kabhi pyaar bankar,
iss chand ne kitni mohabbat ki gavaahi di hai..”
“ये राते भी मेरी जगी है चाँद के साथ,
दिन में मेरे अरमान बयान कहाँ होते है..
“Ye raate b meri jagi hai chand ke saath,
Din me mere arman bayaan kaha hote h..”
“बहुत बदनामी सुन रहा हूँ आसमान के चाँद से,
लगता है उनकी ज़ुबान पे मेरा ज़िक्र हो रहा है..
Bohot badnaami sun rha hoon aasmaan ke chand se,
lagta h unki zubaan pe mera zikr ho rha h…”
“खोया रहता था रौशनी की बाजार में,
सुकून का चाँद देखना रह गया।।
कैद था मैं खुदके ही पिंजरे में,
मैं जेब से चाबी निकालना भूल गया।।
ताला लगाने की आदत ऐसी हुई है हमें,
पिंजरों का रखवाला मैं, मैं खुद भी पिंजरों के बीच का कैदी बन गया।
Khoya rehta tha roshni ki bazaar me,
sukoon ka chand dekhna reh gaya…
kaid tha main khudke hi pinjre me,
main jeb se chaabi nikaalna bhul gaya…
taala lagaane ki aadat aisi hui hai humein,
pinjre ka rakhwala main, main khud bhi pinjre ke beech ka kaidi ban gaya …”
“पुकारा नहीं मैंने मेरे चाँद को इस दफा,
मेरे लफ़्ज़ों को जितना इकरार था उससे, उसे उसका इतना ही इनकार ।।
Pukara nahi maine mere chand ko iss dafa,
mere lafzo ko jitna ikraar tha usse, usae uska itna hi inkaar…”
“इस चाँद को साक्षी मानकर,
इस ही आसमान के नीचे नज़दीकियां सी लगती थी।।।
आज इस ही के ज़रिए तुझे यादकर,
तेरी दूरियों की बातें की है।।
Iss chand ko saakshi maankar,
Iss hi aasmaan ke neehe nazdeekiya si lagti thi…
aaj iss hi ke zariye tujhe yaadkar,
teri dooriya ke baatein ki hai…”
“चांद पर शायरी “ पे ये रुठा आशिक का कलेक्शन पढ़कर आपके दिल की दास्तान भी एहसासों से ताज़ा हो गयी होगी। जज़बातों का सिलसिला तो अनगिनत है। आप “चांद पर शायरी इमेज” को अपने मन की हिसाब से अपने खास व्यक्ति के साथ शेयर ऑयर सकते हैं। क्योंकि चांद अपनेआप में खास हम यह सब बातें के बार एकांत में पढ़ना भी ओएसन्द करते हैं। रुठा आशिक़ भी “चांद पर शायरी हिंदी में” अपने स्टेटस में रखता है या फोल्डर बनाकर अकेले में पढ़ता है। आप आपके दिल के हिसाब से इन शब्दों को संजोकर रख सकते हैं।