Mirza Ghalib Shayari

- Ruthaaashiq

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।

- Ruthaaashiq

सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा गालिब, नोंच नोंच कर खा गई तेरी याद मुझे।

- Ruthaaashiq

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब, कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।

- Ruthaaashiq

ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री, हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे।

- Ruthaaashiq

मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें ग़ालिब, यार लाए मेरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त?

- Ruthaaashiq

बोल ही देंगी आँखे ,खिड़की में आकर, बस बदनाम मत करना तू, दोस्तों को मेरे नाम का पासवर्ड बताकर..

- Ruthaaashiq

उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब, हम बयाबां में हैं और घर में बहार आई है।

- Ruthaaashiq

बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह, जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है।

- Ruthaaashiq

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