सोचा नगर से दूर दोस्त के घर जाऊँगा,
ये दोस्त जता गया, घर नगर से अलग नहीं..
- Ruthaaashiq
न आसमा, न जमीन, न घर,
न शौक, न हवेली, न नशा,
जब वक़्त को गुज़रते ही देखना है,
क्या फर्क है, शक्स जीता है या मरता है..
- Ruthaaashiq
शान से खड़ा होता मैं,
घर की लंबाई छोटी हो तो बैठकर ही गुजारा हो पाता है...
- Ruthaaashiq
मकान छोड़ देना तुम, घर तेरा मैं ही हूँ,लेन देन कर लेना तुम, रिश्ता तेरा मैं ही हूँ,तू माने न माने, मर जाने के बाद भी,तेरे कर्मों के हिसाब में भी - मैं ही हूँ...
- Ruthaaashiq
घरमे कोई ईज्जत नहीं, बाहर अपनको सलाम है,
दिलमें दोस्त, और दिल उनका ग़ुलाम है।
- Ruthaaashiq
मकानों में सुकून खोजता रहा,
दिल बस गया सड़क बीच - घर मेरा वही बन गया ..
- Ruthaaashiq
भटकता रहा मंदिरों में ,
आज झुका जहाँ सर - वहीं भगवान मिल गया...
- Ruthaaashiq
जिंदगी में जिंदगी खोजता रहा,
लोगों के गमों में, खुदके गम भी जी गया...