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मैं दिया हूँ मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं

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सुनो… जब कभी देख लुं तुमको तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है

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थोड़ा सा रफू करके देखिए ना फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है

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बहुत छाले हैं उसके पैरों में कमबख्त उसूलो पर चल होगा

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मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं जो मैं हूं

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इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां

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अच्छी किताबें और अच्छे लोग तुरंत समझ में नहीं आते हैं, उन्हें पढना पड़ता हैं

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कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए, भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं

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वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं, हम भूल गए हैं रख के कहीं